'अमीरों की भावुकता की कीमत गरीबों के खून से नहीं..SC के फैसले से नाखुश डॉग लवर्स पर बरसे राम गोपाल वर्मा, बोले-इतना प्यार है तो गोद ले लें

Edited By suman prajapati, Updated: 17 Aug, 2025 05:25 PM

ram gopal varma lashes out at dog lovers unhappy with sc s decision

अपने बेबाक और स्पष्ट अंदाज के लिए पहचाने जाने वाले फिल्ममेकर राम गोपाल वर्मा ने हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें दिल्ली के सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर होम भेजने का आदेश दिया गया है। राम गोपाल ने अपने पोस्ट में...

मुंबई. अपने बेबाक और स्पष्ट अंदाज के लिए पहचाने जाने वाले फिल्ममेकर राम गोपाल वर्मा ने हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें दिल्ली के सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर होम भेजने का आदेश दिया गया है। राम गोपाल ने अपने पोस्ट में उन डॉग लवर्स की लताड़ लगाई है, जो आवारा कुत्तों पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना कर रहे हैं।

 

राम गोपाल ने डॉग लवर्स पर तंज कसते हुए लिखा, 'हे डॉग लवर्स, तुम सभी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कुत्तों के साथ हुई नाइंसाफी पर चिल्ला रहे हो। लेकिन तब कहां थे जब चार साल की एक बच्ची को सड़क पर बेरहमी से मार दिया गया था। इसी तरह हर साल हजारों लोगों पर हमले होते हैं। तब आपका ये प्यार कहां था? क्या ये सिर्फ दया उन लोगों के लिए रिजर्व है, जिनकी दुम हिलती है? जबकि मरे हुए बच्चों की गिनती नहीं होती है। और हां कुत्तों से प्यार करने में कोई बुराई नहीं है। मैं भी उन्हें प्यार करता हूं। लेकिन अपने घरों में, अपने आलीशान बंगलों में, अपने सजे-धजे लॉन में अपने कुत्तों से प्यार करें।'  

राम गोपाल वर्मा ने आगे लिखा, 'अपने इम्पोर्टेड लैब्राडोर, अपने हस्की, अपने हायर-ब्रीड वाले पालतू जानवरों से प्यार करें, जिन्हें खरीदा है। और जिसकी देखभाल के लिए आपने वर्कर्स रखे हैं। सच्चाई तो ये है कि कुत्तों का आतंक, आपके आलीशान बंगले में नहीं है। सड़कों और झुग्गी-झोपड़ियों में है। ये आतंक उन गलियों में नजर आता है, जहां गरीब रहते हैं। जहां बच्चे नंगे पैर खेलते हैं। जहां कोई गेट नहीं है उनको प्रोटेक्ट करने के लिए। जबकि प्रिवलेज्ड लोग अपने पालतू जानवरों पर प्यार लुटाते हैं। और जिनके पास पावर नहीं होती, उन्हें घायलों की देखभाल के लिए छोड़ दिया जाता है।'


राम गोपाल यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे लिखा, 'आप कुत्तों के अधिकारों की बात करते हैं। ठीक है। लेकिन बच्चों के अधिकारों का क्या? जीने का अधिकार। उसके माता-पिता का उसे बड़ा होते देखने का अधिकार। क्या ये अधिकार इसलिए खत्म हो जाते हैं क्योंकि आप कुत्तों से प्यार करते हैं? क्या ये अधिकार आपके इंस्टाग्राम पर अपने पालतू जानवरों को दुलारते हुए पोस्ट की गई तस्वीरों से कम मायने रखते हैं? यह वो सच्चाई है जिसे आप सुनना नहीं चाहेंगे। अगर आप कुत्तों से सच्चा प्यार करते हैं, तो उन्हें अडॉप्ट कर लें, उन्हें खाना खिलाएं और अपने घरों में उनको प्रोटेक्ट करें। या सरकार पर समाधान निकालने के लिए दबाव डालें। लेकिन अपने प्यार का बोझ सड़कों पर न डालें, जहां यह किसी और के बच्चे की जान ले ले। अमीरों की भावुकता की कीमत गरीबों को अपने खून से नहीं चुकानी चाहिए। और इस सच्चाई को समझें कि जो समाज एक आवारा कुत्ते की जान को एक बच्चे की जान से ज्यादा महत्व देता है, वह पहले ही अपनी मानवता खो चुका है।'

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