Karan Oberoi रेप केस में उजागर की पीड़िता की पहचान? कोर्ट ने पूजा बेदी और उनके साथियों के खिलाफ कार्रवाई रोकने से किया मना

Edited By suman prajapati, Updated: 09 Apr, 2025 04:49 PM

pooja bedi  others accused of revealing rape survivor s identity no relief

साल 2019 में एक्टर करण ओबेरॉय के खिलाफ रेप का मामला दर्ज हुआ था। इस मामले में रेप पीड़िता की पहचान सार्वजनिक करने को लेकर बॉलीवुड एक्ट्रेस पूजा बेदी समेत कुछ और लोगों को समन जारी किया गया था। वहीं, अब इस मामले में मुंबई की एक सेशन कोर्ट ने पूजा बेदी...

मुंबई. साल 2019 में एक्टर करण ओबेरॉय के खिलाफ रेप का मामला दर्ज हुआ था। इस मामले में रेप पीड़िता की पहचान सार्वजनिक करने को लेकर बॉलीवुड एक्ट्रेस पूजा बेदी समेत कुछ और लोगों को समन जारी किया गया था। वहीं, अब इस मामले में मुंबई की एक सेशन कोर्ट ने पूजा बेदी और उनके साथियों के खिलाफ कार्रवाई रोकने से मना कर दिया है। 

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आरोपियों के अपराध में शामिल होने के प्रारंभिक प्रमाण मिले हैं, इसलिए इस मामले को शुरूआत में ही खारिज करने का कोई कारण नहीं है। यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 228A से जुड़ा है, जो रेप पीड़िता की पहचान उजागर करने पर रोक लगाती है।

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अंधेरी कोर्ट में दर्ज हुआ मामला

यह मामला अंधेरी मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में दर्ज किया गया था। इसमें पूजा बेदी, एक्ट्रेस अन्वेषी जैन, चैतन्य भोसले, वरके पटानी, गुर्बानी ओबेरॉय, शेरिन वर्गीज, एक्टर सुधांशु पांडे और वकील दिनेश तिवारी पर आरोप हैं कि उन्होंने 2019 में करण ओबेरॉय के खिलाफ रेप की शिकायत करने वाली महिला की पहचान और निजी जानकारियां उजागर की थीं।

शिकायतकर्ता महिला का आरोप

महिला का कहना है कि जब करण ओबेरॉय के खिलाफ रेप का मामला दर्ज किया गया, उसके तुरंत बाद इन सभी आरोपियों ने पूजा बेदी के घर पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इस दौरान उन्होंने महिला की पहचान, नाम और अन्य व्यक्तिगत जानकारी सार्वजनिक की। महिला ने जून 2019 में कोर्ट में अपनी औपचारिक शिकायत दर्ज कराई थी।

 

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मेट्रोपॉलिटन कोर्ट ने इस शिकायत पर पुलिस को जांच करने के आदेश दिए थे। जांच में पता चला कि 5 मई 2019 को पूजा बेदी के घर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई थी, जहां महिला की पहचान और निजी जानकारी सार्वजनिक की गई, जो कानून के तहत सुरक्षित होनी चाहिए थी। पुलिस ने यह भी बताया कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का वीडियो कई डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर वायरल हुआ और अब भी ऑनलाइन उपलब्ध है।

इन तथ्यों के आधार पर, मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 26 फरवरी 2021 को सभी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया। यह केस भारतीय दंड संहिता की धारा 228A के तहत दायर किया गया है, जो एक गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।

आरोपियों ने कोर्ट के फैसले को दी चुनौती

अप्रैल 2022 में पूजा बेदी समेत सभी आरोपियों ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को सेशन कोर्ट में चुनौती दी। उनका कहना था कि उन सभी के बीच कोई साझा इरादा नहीं था और उन्होंने महिला की पहचान उजागर नहीं की थी। कुछ आरोपियों ने न तो महिला का नाम लिया और न ही कोई निजी जानकारी शेयर की।

हालांकि, सेशन कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार करने से मना कर दिया और साफ तौर पर कहा कि इस स्टेज पर आरोपों को खारिज नहीं किया जा सकता क्योंकि प्रारंभिक जांच में आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत पाए गए हैं। अब यह मामला आगे की कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा रहेगा और संबंधित धाराओं के तहत जांच और सुनवाई जारी रहेगी।
 


 

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