ब्रह्मकुमारीज प्रमुख दादी रतनमोहिनी का 101 की उम्र में निधन, भारी मन से डायरेक्टर सुभाष घई ने दी श्रद्धांजलि

Edited By Smita Sharma, Updated: 09 Apr, 2025 02:14 PM

film director subhash ghai heartfelt tribute to rajyogini dadi ratan mohini ji

ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की प्रमुख और वरिष्ठ आध्यात्मिक साधिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी का 101 साल की उम्र में निधन हो गया। अहमदाबाद के जाइडिस अस्पताल में सोमवार की रात 1.20 बजे उन्होंने अंतिम सांस लीय़उनके पार्थिक शरीर को मुख्यालय शांतिवन...

मुंबई: ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की प्रमुख और वरिष्ठ आध्यात्मिक साधिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी का 101 साल की उम्र में निधन हो गया। अहमदाबाद के जाइडिस अस्पताल में सोमवार की रात 1.20 बजे उन्होंने अंतिम सांस लीय़उनके पार्थिक शरीर को मुख्यालय शांतिवन के कॉन्फ्रेंस हाल में अंतिम दर्शनार्थ के लिए रखा गया है। 10 अप्रैल की सुबह 10 बजे राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी का अंतिम संस्कार किया जाएगा।

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राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक संवेदना व्यक्त की। वहीं अब फिल्म डायरेक्टर और प्रोड्यूसर सुभाष घई ने भी भारी मन के साथ राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी को श्रद्धांजलि दी। उनका एक वीडियो सामने आय है जिसमें वह राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी को श्रद्धांजलि देते दिख रहे हैं।

उन्होंने कहा-'मुझे ये जानकार बहुत दुख हुआ कि हमारी ब्रह्माकुमारी की दादी रतनमोहिनी जी 101 साल की आयु यात्रा पूर्ण कर स्वर्गवास हुईं। हमें उन्होंने बहुत मार्गदर्शन दिया, शांति और आध्यात्मिकता की तरफ ले जाने का प्रयत्न किया। हम हमेशा उनके आभारी रहेंगे। मेरे प्रार्थना है ईश्वर से कि उनकी आत्मा को शांति दे क्योंकि उन्होंने हमारे जीवन में बहुत शांति प्रदान की। हम आपको हमेशा याद रखेंगे दादी। प्रणाम ओम शांति। '

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बता दें कि 4 साल पहले दादी हृदयमोहिनी के देहावसान के बाद दादी रतनमोहिनी मुख्य प्रशासिका बनीं थीं। पिछले 40 साल से आप संस्थान के युवा प्रभाग की अध्यक्षा रहीं। दादी रतनमोहिनी के नेतृत्व में वर्ष 2006 में भारत भर में निकाली गई युवा पदयात्रा को लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज किया गया था। 2014 को गुलबर्गा विश्वविद्यालय ने दादी को डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा था। 

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गौरतलब है कि दादी रतनमोहिनी 13 वर्ष की आयु में ही ब्रह्माकुमारीज से जुड़ गई थीं। उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज कल्याण में समर्पित कर दिया. 101 वर्ष की आयु में भी दादी की दिनचर्या अलसुबह ब्रह्ममुहूर्त में 3.30 बजे से शुरू हो जाती थी। सबसे पहले वह परमपिता शिव परमात्मा का ध्यान करती थी।

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