Edited By Smita Sharma, Updated: 22 Mar, 2025 01:39 PM

ब्रिटिश वेब सीरीज Adolescence हाल ही में ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई। बी-टाइन इंडस्ट्री में सीरीज रिलीज के बाद से ही चर्चा में बनी हुई है। हंसल मेहता और अनुराग कश्यप ने इस सीरीज की तारीफ की। जहां हंसल मेहता ने बॉलीवुड के रीसेट की बात...
खुद का पैसा लगाओ... हंसल-अनुराग पर एकता ने कसा तंज,बोली-दूसरों को दोषी मत ठहराओ
मुंबई: ब्रिटिश वेब सीरीज Adolescence हाल ही में ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई। बी-टाइन इंडस्ट्री में सीरीज रिलीज के बाद से ही चर्चा में बनी हुई है। हंसल मेहता और अनुराग कश्यप ने इस सीरीज की तारीफ की। जहां हंसल मेहता ने बॉलीवुड के रीसेट की बात की। वहीं अनुराग कश्यप ने 'एडोलसेंस' के बहाने नेटफ्लिक्स पर गुस्सा निकाला। अनुराग कश्यप ने नेटफ्लिक्स द्वारा कंटेंट को मंजूरी देने के तरीके की आलोचना की।
इसके साथ ही कहा था कि अगर ‘एडोलसेंस’ को भारत में प्रेजेंट किया जाता तो वो या तो इसे रिजेक्ट कर देते या फिर 90 मिनट की फिल्म में बदल देते। अब इसी बीच एकता कपूर ने एक क्रिप्टिक पोस्ट शेयर किया है,जिसे अनुराग कश्यप और हंसल मेहता पर तंज माना जा रहा है। एकता कपूर ने आर्ट को तवज्जो देते हुए उन्होंने कहा है कि पैसों से ज्यादा अगर आर्ट पर फोकस किया जाए तो हमारा सिनेमा भी किसी हॉलीवुड सीरीज से कम नहीं।
एकता कपूर ने लिखा-'जब इंडियन क्रिएटर्स इस बात पर रोते हैं कि हमारे इंडियन कंटेंट में दम नहीं और वो इंटनरनेशनल टीवी सीरीज और फिल्मों की टक्कर का नहीं है, तो मुझे खराब लगता है। मैं सोचती हूं कि क्या ये उनका ईगो है, गुस्सा है या फिर वो हमारे सिनेमा को लेकर अपने दिमाग में गलत धारणा बना रहे हैं?'

उन्होंने आगे लिखा-'जब ‘सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव’ या कि मेरी अपनी हंसल मेहता निर्देशित फिल्म ‘बकिंघम मर्डर्स’ सिनेमाघरों में नहीं चलती है तो क्या हम इसके लिए असल में दोषी दर्शकों को निशाना बना सकते हैं? लेकिन इसमें आनंद कहां है। जनता को दोषी ठहराना एक तरह से किसी अमूर्त पर निशाना साधने जैसा होता है। उन्हें हम सोशल मीडिया पर गरिया नहीं सकते तो इसमें लोगों को मजा भी नहीं आता। हमें ये मान लेना चाहिए कि भारत का अधिकांश हिस्सा इसमें शामिल है और हमारी मनोरंजन सामग्री अभी विकास के दौर से गुजर रही है।'
एकता आगे लिखती हैं-'जहां तक कंटेंट की बात है तो देश का एक बड़ा हिस्सा अभी इवॉल्व ही हो रहा है। कह सकते हैं कि लोग अभी किशोरावस्था और बचपन में ही जी रहे हैं। क्रिएटर्स मैं आपसे आग्रह करती हूं कि सिस्टम से लड़ो। पैसा, भूख, कॉर्पोरेट स्टूडियो और ऐप्स... हर कोई सिर्फ पैसे बनाने पर ध्यान देता है। मैं भी इसमें शामिल हूं। स्टूडियोज और एप्स, एंटरटेनमेंट को इंडस्ट्री के रूप में देखते हैं। फिल्म बनाना और कंटेंट क्रिएट करना बिजनेस नहीं होता। यह एक आर्ट होती है और मैं इस आर्ट को सपोर्ट करना चाहती हूं। मैं सभी क्रिएटर्स से गुजारिश करती हूं कि वो खुद का पैसा लगाएं। प्रॉब्लम सॉल्व।'