Edited By Smita Sharma, Updated: 14 Aug, 2025 10:47 AM

बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी और उनके बिजनेसमैन पति राज कुंद्रा एक बार फिर मुश्किलों में फंस गए हैं। कपल पर मुंबई के एक व्यवसायी से 60 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है। यह मामला सेलिब्रिटी कपल की अब बंद हो चुकी बेस्ट डील टीवी प्राइवेट...
मुंबई: बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी और उनके बिजनेसमैन पति राज कुंद्रा एक बार फिर मुश्किलों में फंस गए हैं। कपल पर मुंबई के एक व्यवसायी से 60 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है। यह मामला सेलिब्रिटी कपल की अब बंद हो चुकी बेस्ट डील टीवी प्राइवेट लिमिटेड के लिए निवेश के सौदे से जुड़ा है।
बिजनेसमैन दीपक कोठारी ने आरोप लगाया है कि उन्होंने 2015-2023 के आसपास कारोबार बढ़ाने के लिए उन्हें 60.48 करोड़ दिए थे लेकिन उन्होंने इसे निजी खर्चों पर खर्च कर दिया।

दीपक कोठारी ने दावा किया कि वह 2015 में एक एजेंट राजेश आर्य के जरिए शिल्पा शेट्टी-राज कुंद्रा के संपर्क में आए थे। उस समय यह कपल एक ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म, बेस्ट डील टीवी के निदेशक थे उस समय कंपनी में शिल्पा शेट्टी के 87% से अधिक शेयर थे।

उन्होंने आरोप लगाया कि आर्य ने कंपनी के लिए 12% वार्षिक ब्याज पर 75 करोड़ का ऋण मांगा था लेकिन उच्च करों से बचने के लिए उन्होंने सुझाव दिया कि वह इस राशि को निवेश के रूप में लगा दें। एक बैठक हुई और इस वादे के साथ सौदा तय हुआ कि पैसा समय पर वापस कर दिया जाएगा। दीपक कोठारी ने अप्रैल 2015 में लगभग 31.95 करोड़ रुपये की पहली किस्त ट्रांसफर कर दी लेकिन टैक्स का मुद्दा बना रहा और सितंबर में एक दूसरा सौदा हुआ। व्यवसायी ने कहा कि उन्होंने जुलाई 2015 और मार्च 2016 के बीच 28.54 करोड़ रुपये और ट्रांसफर किए।

कुल मिलाकर उन्होंने सौदे के लिए 60.48 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि ट्रांसफर की, साथ ही 3.19 लाख स्टांप शुल्क भी चुकाया। दीपक कोठारी ने दावा किया कि शिल्पा शेट्टी ने अप्रैल 2016 में उन्हें पर्सनली गारंटी भी दी थी लेकिन कुछ महीने बाद, सितंबर में, उन्होंने कंपनी के निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया। इसके तुरंत बाद, कंपनी के खिलाफ 1.28 करोड़ का दिवालियेपन का मामला सामने आया जिसके बारे में दीपक कोठारी को पता ही नहीं था। पैसे के लिए उनके बार-बार किए गए अनुरोधों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।

यह मामला शुरू में जुहू पुलिस स्टेशन में जालसाजी और धोखाधड़ी के आरोप में दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में 10 करोड़ से अधिक की राशि होने के कारण इसे आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को सौंप दिया गया। ईओडब्ल्यू अब मामले की जांच कर रहा है।