Edited By suman prajapati, Updated: 10 Jul, 2025 01:12 PM

1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन ने सिर्फ दो देशों की सीमाएं नहीं बदलीं, बल्कि कई मशहूर शख्सियतों को भी अपनी जड़ों से दूर कर दिया। फिल्म जगत के दिग्गज कलाकार दिलीप कुमार और राज कपूर भी उन्हीं लोगों में शामिल हैं, जिनका बचपन और पुश्तैनी घर पेशावर,...
मुंबई. 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन ने सिर्फ दो देशों की सीमाएं नहीं बदलीं, बल्कि कई मशहूर शख्सियतों को भी अपनी जड़ों से दूर कर दिया। फिल्म जगत के दिग्गज कलाकार दिलीप कुमार और राज कपूर भी उन्हीं लोगों में शामिल हैं, जिनका बचपन और पुश्तैनी घर पेशावर, पाकिस्तान में बीता था। दशकों बाद अब इनकी विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की सरकार ने दिलीप कुमार और राज कपूर से संबंधित ऐतिहासिक भवनों के संरक्षण और पुनर्निर्माण के लिए 3.38 करोड़ रुपये (पाकिस्तानी मुद्रा में) की राशि स्वीकृत की है। इस फैसले की घोषणा एक उच्च स्तरीय बैठक के दौरान की गई, जिसकी अध्यक्षता प्रांतीय मुख्यमंत्री अली अमीन गंदापुर और पर्यटन व पुरातत्व मामलों के सलाहकार जाहिद खान शिनवारी ने की।
यह योजना विश्व बैंक के केएटीई (Khyber Pakhtunkhwa Integrated Tourism Development Project) कार्यक्रम के तहत चलाई जा रही है, जिसमें प्रांत की सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करने और पर्यटन को बढ़ावा देने की रणनीति शामिल है।
राज कपूर और दिलीप कुमार के घर बनेंगे संग्रहालय
पेशावर स्थित ये दोनों भवन पहले ही पाकिस्तान सरकार द्वारा राष्ट्रीय धरोहर स्थल घोषित किए जा चुके हैं। हालांकि समय के साथ इनकी स्थिति काफी जर्जर हो गई थी। अब खैबर पख्तूनख्वा पुरातत्व विभाग इन इमारतों को संग्रहालयों में तब्दील करने की योजना बना रहा है, जो दोनों कलाकारों के जीवन और फिल्मी सफर को समर्पित होंगे।
इन संग्रहालयों में पेशावर से लेकर मुंबई तक की उनकी यात्रा, फिल्मों में योगदान, निजी जीवन की झलकियां, और दुर्लभ तस्वीरों के साथ-साथ उनके उपयोग किए गए सामानों को भी प्रदर्शित किया जाएगा।

पुरानी घोषणा को मिल रहा नया जीवन
गौरतलब है कि जुलाई 2014 में तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इन घरों को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया था। लेकिन बजट और प्रशासनिक अड़चनों के चलते अब तक इस दिशा में कोई ठोस प्रगति नहीं हो सकी थी। अब इस ताजा बजट मंजूरी से इस योजना को एक नई रफ्तार मिलती दिख रही है।
पुरातत्व विभाग के निदेशक डॉ. अब्दुस समद ने जानकारी दी कि सरकार का उद्देश्य इन स्मृति स्थलों को आम जनता के लिए खोलना है, ताकि लोग इन कलाकारों की जिंदगी और विरासत को नजदीक से देख सकें।
दिलीप कुमार (जिनका असली नाम यूसुफ खान था) और राज कपूर के परिवार विभाजन के बाद भारत में बस गए थे, लेकिन उनकी पारिवारिक जड़ें पाकिस्तान में रहीं। इनके अलावा भी मनोज कुमार जैसे कई अन्य कलाकारों के पूर्वजों ने विभाजन के दौरान अपनी संपत्ति और विरासत पाकिस्तान में छोड़ दी थी।