Edited By Mehak, Updated: 14 Jan, 2025 05:14 PM
महाकुंभ 2025 में रथ पर सवार होकर पहुंचीं हर्षा रिछारिया चर्चा में हैं, जिन्हें सबसे सुंदर साध्वी कहा जा रहा है। हर्षा ने स्पष्ट किया कि वे साध्वी नहीं बनी हैं और उन्हें यह टैग गलत तरीके से दिया गया है। उन्होंने अपनी यात्रा को युवाओं के लिए प्रेरणा...
बाॅलीवुड तड़का : प्रयागराज में महाकुंभ मेले का शुभारंभ 13 जनवरी 2025 को हुआ, जो 26 फरवरी 2025 तक चलेगा। इस ऐतिहासिक मेले में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे हैं। इसी बीच, निरंजनी अखाड़े की साध्वी हर्षा रिछारिया चर्चा का केंद्र बनी हुई हैं। वह रथ पर सवार होकर मेले में पहुंचीं और उनकी सुंदरता को लेकर उन्हें सबसे खूबसूरत साध्वी का टैग दिया गया है।
हर्षा का सफर: एंकर से साध्वी बनने तक
हर्षा रिछारिया, जो पहले एक एंकर थीं, अब अध्यात्म की ओर बढ़ रही हैं। हालांकि, खुद को साध्वी कहे जाने पर उन्होंने स्पष्ट किया है कि उन्होंने अभी साध्वी बनने की दीक्षा नहीं ली है। एक इंटरव्यू में हर्षा ने कहा, 'मैंने कभी नहीं कहा कि मैं बचपन से साध्वी हूं। मैं साध्वी नहीं हूं, लेकिन इस ओर बढ़ रही हूं।' सोशल मीडिया और लोगों ने मुझे यह टैग दे दिया है।"
हर्षा ने बताया कि साध्वी बनना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, जिसमें परंपराओं और संस्कारों का पालन करना पड़ता है। उन्होंने केवल मंत्र दीक्षा ली है, जिसे कोई भी ग्रहस्थ जीवन में ले सकता है।
अपने सफर को युवाओं के लिए प्रेरणा बनाना चाहती हूं
हर्षा ने अपनी पुरानी तस्वीरों और वीडियो पर चर्चा करते हुए कहा, 'मैं एंकरिंग फील्ड से आई हूं, और इसमें कोई गलत बात नहीं है। हर किसी का एक अतीत होता है। मैंने अपनी पुरानी तस्वीरें डिलीट नहीं कीं, क्योंकि मैं अपनी जर्नी युवाओं के सामने रखना चाहती हूं। अगर मैं ये बदलाव कर सकती हूं, तो कोई भी कर सकता है।'
खुद के फैसले से छोड़ा प्रोफेशन
हर्षा ने बताया कि उनकी मुलाकात उनके गुरुदेव से डेढ़ साल पहले हुई थी। गुरुदेव ने उन्हें कभी प्रोफेशन छोड़ने के लिए नहीं कहा, लेकिन यह उनका खुद का फैसला था। हर्षा ने कहा, 'मैं अब जो भी कर रही हूं, उसमें बहुत खुश हूं। धर्म और संस्कृति से जुड़ना मेरे लिए बेहद जरूरी है।'
खूबसूरत साध्वी कहे जाने पर हर्षा का जवाब
जब हर्षा से सबसे खूबसूरत साध्वी कहे जाने पर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, 'रंग-रूप का भक्ति से कोई लेना-देना नहीं है। भगवान की भक्ति कोई भी कर सकता है, चाहे उसकी उम्र, जेंडर या रूप कैसा भी हो।'