‘फुले’ की रिलीज टालने पर अनुराग कश्यप ने जताई नाराजगी, कहा- फिल्म में ऐसा क्या देखा जिससे इतनी आपत्ति हुई

Edited By suman prajapati, Updated: 17 Apr, 2025 10:47 AM

anurag kashyap anger erupts over the postponement of film phule release

फिल्म निर्देशक अनंत महादेवन की मच अवेटड फिल्म फुले इन दिनों काफी चर्चा में हैं। प्रतीक गांधी और पत्रलेखा स्टारर यह फिल्म पहले 11 अप्रैल 2025 को रिलीज होने जा रही थी, लेकिन कुछ समुदायों के विरोध के बाद इसकी रिलीज 25 अप्रैल 2025 तक टाल दी गई। ऐसे में...

मुंबई. फिल्म निर्देशक अनंत महादेवन की मच अवेटड फिल्म फुले इन दिनों काफी चर्चा में हैं। प्रतीक गांधी और पत्रलेखा स्टारर यह फिल्म पहले 11 अप्रैल 2025 को रिलीज होने जा रही थी, लेकिन कुछ समुदायों के विरोध के बाद इसकी रिलीज 25 अप्रैल 2025 तक टाल दी गई। ऐसे में अब फिल्ममेकर अनुराग कश्यप ने ‘फुले’ को लेकर उठे विवाद पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है और इंस्टाग्राम स्टोरी के जरिए कड़ा विरोध किया है।

 

अनुराग कश्यप ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी में लिखा: “मेरी जिंदगी का पहला नाटक ज्योतिबा और सावित्रीबाई फुले पर था। भाई अगर जातिवाद नहीं होता इस देश में तो ज्योतिबा और सावित्रीबाई फुले को क्या जरूरत थी लड़ने की? अब एक समुदाय के लोगों को शर्म आ रही है या वो शर्म में मरे जा रहे हैं या फिर एक अलग ही समुदाय भारत में हैं। हम देख नहीं पा रहे हैं, बेवकूफ कौन है कोई तो समझाए?”

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अनुराग ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि फिल्म रिलीज से पहले ही कोई समुदाय उस तक कैसे पहुंच गया और उसने उसमें क्या देखा जिससे इतनी आपत्ति हुई। उन्होंने कहा कि लोग मूर्ख नहीं हैं और आज की जनता समझती है कि क्या हो रहा है।

 

सरकार पर उठाए सवाल
अनुराग कश्यप ने फिल्म ‘फुले’ के साथ-साथ ‘पंजाब 95’, ‘तीस’, ‘धड़क 2’ जैसी अन्य फिल्मों का भी जिक्र करते हुए कहा कि ऐसी सभी फिल्में जो असहज सच्चाइयों को दिखाने की कोशिश करती हैं, उन्हें सेंसरशिप और दमन का शिकार होना पड़ता है। उन्होंने आरोप लगाया कि “मुझे नहीं पता कि इस जातिवादी, क्षेत्रवादी, नस्लवादी सरकार के एजेंडे को उजागर करने वाली और कितनी फिल्में ब्लॉक की गई हैं। उन्हें अपना चेहरा आईने में देखने में शर्म आती है। उन्हें इतनी शर्म आती है कि वो खुलकर यह भी नहीं बता सकते कि फिल्म में ऐसा क्या है? जो उन्हें परेशान करता है। बकवास।”


अनुराग कश्यप ने जातिवाद को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े करते हुए कहा- “भाई मिल के तय कर लो। भारत में जातिवाद है या नहीं? धड़क 2 की स्क्रीनिंग में सेंसर बोर्ड ने बोला कि भारत में जाति व्यवस्था खत्म कर दी गई है। इसके आधार पर फिल्म 'संतोष' भी भारत में रिलीज नहीं हुई। अब एक समुदाय को ‘फुले’ से समस्या है। भैया, जब जाति व्यवस्था ही नहीं है तो काहे की समस्या? कौन हो आप? और एक सवाल – जब जाति व्यवस्था नहीं थी तो ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई क्यों थे? एक बार और सभी के लिए तय करें – क्या भारत में जातिवाद है या नहीं?”

फिल्म ‘फुले’ विवाद क्या है?
फिल्म ‘फुले’ को सेंसर बोर्ड (CBFC) ने 7 अप्रैल को ‘U’ प्रमाणपत्र दिया, लेकिन इसके साथ ही फिल्म में कई संशोधन करने के निर्देश भी दिए। इनमें ‘मांग’, ‘महार’ और ‘पेशवाई’ जैसे शब्दों को हटाने और ‘तीन हजार साल पुरानी गुलामी’ को बदलकर ‘कितने साल पुरानी गुलामी’ करने जैसी मांगे शामिल थीं।

  

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