अभिनेता पुनीत इस्सर का बड़ा बयान- क्या अब फिल्मों का विषय सिर्फ LGBTQ रहेगा?

Edited By Mehak, Updated: 30 Apr, 2025 06:23 PM

actor puneet issar s big statement will the subject of films now be only lgbtq

'महाभारत' में दुर्योधन का किरदार निभाकर मशहूर हुए अभिनेता पुनीत इस्सर ने हाल ही में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की मौजूदा स्थिति पर खुलकर अपनी राय रखी। उन्होंने साफ कहा कि आज की ज्यादातर बॉलीवुड फिल्में हकीकत से काफी दूर हो चुकी हैं और आम दर्शक उनसे जुड़...

बाॅलीवुड तड़का : 'महाभारत' में दुर्योधन का किरदार निभाकर मशहूर हुए अभिनेता पुनीत इस्सर ने हाल ही में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की मौजूदा स्थिति पर खुलकर अपनी राय रखी। उन्होंने साफ कहा कि आज की ज्यादातर बॉलीवुड फिल्में हकीकत से काफी दूर हो चुकी हैं और आम दर्शक उनसे जुड़ नहीं पा रहे हैं।

पुनीत का मानना है कि आज के फिल्ममेकर सिर्फ एक खास तबके, खासकर साउथ मुंबई के शहरी वर्ग को ध्यान में रखकर फिल्में बना रहे हैं। उन्होंने कहा, 'इन फिल्मों में जरूरत से ज्यादा इमोशनल ड्रामा होता है, जो आम भारतीय की जिंदगी से मेल नहीं खाता। यही कारण है कि ये फिल्में बॉरिवली से आगे नहीं चल पातीं, और फिर विदेश में कमाई दिखाकर इन्हें हिट बता दिया जाता है।' उन्होंने इसके उलट कुछ बड़ी सफल फिल्मों का उदाहरण भी दिया जैसे 'बाहुबली', 'आरआरआर', 'गदर', 'बजरंगी भाईजान' और आने वाली फिल्म 'छावा'। उन्होंने कहा, 'ये असली ‘मसाला एंटरटेनर’ फिल्में हैं, जो सीधे लोगों की भावनाओं से जुड़ती हैं।'

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पुनीत इस्सर ने साउथ इंडियन सिनेमा की तारीफ करते हुए कहा कि वहां की फिल्में अब भी आम जनता को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं। 'साउथ में अब भी कॉर्पोरेट दखल बहुत कम है, वहां मेल-डॉमिनेटेड फिल्में बनती हैं, जो दर्शकों को पसंद आती हैं। इसका मतलब ये नहीं कि वे मेल-शॉविनिस्ट हैं, बल्कि ये फिल्में ‘अल्फा-मेल’ कैरेक्टर्स पर आधारित होती हैं और लोग यही देखना चाहते हैं।' उन्होंने रणबीर कपूर की फिल्म ‘एनिमल’ का उदाहरण देते हुए कहा कि इस फिल्म की अपार सफलता इसलिए हुई क्योंकि वह लोगों से जुड़ी। 'ये फिल्म कमाल की थी, इसलिए चली। अल्लू अर्जुन की ‘पुष्पा’ भी इसी वजह से हिट रही। लोग ऐसी ही फिल्में देखना चाहते हैं।"

बोल्ड फिल्मों पर भी दी प्रतिक्रिया

जब उनसे सवाल किया गया कि हिंसा या 'अल्फा-मेल' टोन वाली फिल्मों की आलोचना क्यों होती है, तो उन्होंने जवाब दिया, 'किसी की बातों से फर्क नहीं पड़ता। क्या हम वही फिल्में देखें जो सिर्फ एजेंडा चलाने के लिए बनाई जा रही हैं?' उन्होंने आयुष्मान खुराना की फिल्म ‘चंडीगढ़ करे आशिकी’ का जिक्र करते हुए कहा कि ये फिल्म रिलीज होते ही फ्लॉप हो गई। 'क्या हमें सिर्फ गे या लेस्बियन थीम पर फिल्में बनानी चाहिए? मैं LGBTQ कम्युनिटी का सम्मान करता हूं, लेकिन सिर्फ उसपर फिल्म बनाना भी सही नहीं है। हर मुद्दे को संतुलन में रखना चाहिए।'

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हर तरह की फिल्में बनें, लेकिन जनता से जुड़ाव जरूरी है

अंत में पुनीत ने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में हर तरह की फिल्में बननी चाहिए, लेकिन जो फिल्में लोगों के दिल को छूती हैं, वहीं असली ब्लॉकबस्टर होती हैं। उनके अनुसार सिनेमा का मकसद जनता से जुड़ना और उन्हें एंटरटेन करना होना चाहिए, न कि केवल ट्रेंड्स और एक खास वर्ग की सोच को दिखाना।

 

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