श्रीदेवी की प्रॉपर्टी को लेकर खड़ा हुआ विवाद, तीन लोगों ने जताया जमीन पर अपना हक तो मद्रास हाई कोर्ट पहुंचे बोनी कपूर

Edited By suman prajapati, Updated: 27 Aug, 2025 12:01 PM

3 people claimed their rights on sridevi land boney kapoor reached madras high

बॉलीवुड की मशहूर और दिवंगत एक्ट्रेस श्रीदेवी की संपत्ति को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब श्रीदेवी के पति और निर्माता बोनी कपूर ने मद्रास हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया। उन्होंने दावा किया कि कुछ लोग उनकी दिवंगत पत्नी की...

मुंबई.  बॉलीवुड की मशहूर और दिवंगत एक्ट्रेस श्रीदेवी की संपत्ति को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब श्रीदेवी के पति और निर्माता बोनी कपूर ने मद्रास हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया। उन्होंने दावा किया कि कुछ लोग उनकी दिवंगत पत्नी की प्रॉपर्टी पर गैरकानूनी ढंग से मालिकाना हक जताने की कोशिश कर रहे हैं।

बोनी कपूर का आरोप 
एक रिपोर्ट के मुताबिक, बोनी कपूर ने अपनी याचिका में कहा है कि तीन लोग श्रीदेवी की प्रॉपर्टी पर नकली दस्तावेजों के जरिए दावा कर रहे हैं। उन्होंने अदालत को बताया कि वर्ष 1988 में 19 अप्रैल को श्रीदेवी ने यह ज़मीन एम.सी. संबंदा मुदलियार नामक व्यक्ति से खरीदी थी। इससे पहले, मुदलियार के परिवार ने साल 1960 में आपसी सहमति से इस संपत्ति का बंटवारा कर लिया था। यही आधार बनाकर श्रीदेवी ने उस ज़मीन की खरीददारी की थी।

 

नए लोगों ने जताया मालिकाना हक

अब हालात यह हैं कि तीन लोगों ने उस जमीन पर अपना अधिकार जताना शुरू कर दिया है। इनमें से एक महिला ने यह दावा किया है कि वह मुदलियार के बेटे की दूसरी पत्नी है और उसके साथ दो अन्य पुरुष हैं जो खुद को उसके बेटे बता रहे हैं।

बोनी कपूर ने अदालत को बताया कि इस महिला की शादी 5 फरवरी 1975 को हुई थी। वहीं, मुदलियार के बेटे की पहली पत्नी 24 जून 1999 तक जीवित थीं। इस हिसाब से देखा जाए तो दूसरी शादी वैध नहीं मानी जा सकती, क्योंकि पहली पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करना कानूनन अपराध है।

लीगल वारिस प्रमाण पत्र पर सवाल

यही नहीं, बोनी कपूर ने कोर्ट से यह भी सवाल किया कि राजस्व विभाग के अधिकारियों ने इन तीनों व्यक्तियों को लीगल हेयरशिप सर्टिफिकेट (वारिस प्रमाण पत्र) कैसे दे दिया। उन्होंने कहा कि यह सर्टिफिकेट फर्जी दावे के आधार पर जारी किया गया है, और इसे तत्काल रद्द किया जाना चाहिए।

अदालत का निर्देश

इस मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एन. आनंद वेंकटेश ने तांबरम तालुक के तहसीलदार को चार हफ्तों के भीतर इस मामले में जांच कर निर्णय लेने का आदेश दिया है।
 

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