कुतों को लेकर SC के आदेश पर ट्विंकल खन्ना की प्रतिक्रिया, कहा- 'उन प्रदर्शनकारियों को सलाम, जो बारिश में भी हाथों में..

Edited By suman prajapati, Updated: 25 Aug, 2025 11:45 AM

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सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने 11 अगस्त के आदेश में बदलाव करते हुए स्पष्ट किया कि आवारा कुत्तों को पकड़ने के बाद नसबंदी और टीकाकरण किया जाएगा, और यदि वे रेबीज़ से संक्रमित या आक्रामक नहीं हैं, तो उन्हें शेल्टर में नहीं, वापस छोड़ा जाएगा। इस आदेश...

मुंबई. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने 11 अगस्त के आदेश में बदलाव करते हुए स्पष्ट किया कि आवारा कुत्तों को पकड़ने के बाद नसबंदी और टीकाकरण किया जाएगा, और यदि वे रेबीज़ से संक्रमित या आक्रामक नहीं हैं, तो उन्हें शेल्टर में नहीं, वापस छोड़ा जाएगा। इस आदेश ने पूरे देश में बहस को जन्म दिया, विशेष रूप से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच। वहीं, इस मुद्दे पर अब एक्ट्रेस ट्विंकल खन्ना ने भी अपनी राय रखी है। उन्होंने न सिर्फ इस फैसले को लेकर चिंता जताई, बल्कि समाज में व्याप्त "चुनिंदा करुणा" और नैतिकता के दोहरे मापदंडों पर भी तीखा तंज कसा है।

"यह फैसला मेरे लिए निजी हो गया है" – ट्विंकल खन्ना
 
एक न्यूजपेपर में प्रकाशित कॉलम में ट्विंकल ने लिखा: "पिछले कुछ हफ्तों से मेरे सोशल मीडिया फीड पर सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश की चर्चाएं हो रही हैं, जिसमें दिल्ली की सड़कों से हजारों आवारा कुत्तों को हटाने की बात कही गई थी। हमारे अपार्टमेंट बिल्डिंग में भी कुछ स्ट्रे डॉग्स हैं, जिन्हें अनौपचारिक रूप से अपनाया गया है। यह सब एक भूरे रंग के छोटे पिल्ले 'कोको' से शुरू हुआ, और फिर उसके बच्चों तक यह रिश्ता बढ़ गया। वे सब टीकाकृत हैं, पर हमने अब तक नसबंदी नहीं करवाई है। जब ये खबर आई कि उन्हें उठा लिया जाएगा और शेल्टर में डाल दिया जाएगा, तो यह मसला मेरे लिए केवल सोशल मीडिया पर देखी गई एक पोस्ट नहीं रहा – यह अब निजी हो गया।"

"हमारे अंदर की दोगली नैतिकता"

ट्विंकल ने आगे लिखा कि इस मुद्दे पर हो रहे विरोध प्रदर्शन, जहां एक ओर लोगों की सहानुभूति को दर्शाते हैं, वहीं दूसरी ओर यह हमारे समाज में मौजूद गहरे दोहरेपन को भी उजागर करते हैं।

उन्होंने कहा: "मैं उन प्रदर्शनकारियों को सलाम करती हूं जो बारिश में भी हाथों में पोस्टर लेकर सड़कों पर उतरते हैं और पुलिस के धक्कों का सामना करते हैं। लेकिन साथ ही सोशल मीडिया पर बैठे 'लंच ब्रेक एक्टिविस्ट्स' भी हैं, जो मटन बिरयानी खाते हुए स्ट्रे डॉग्स के लिए पोस्ट लिखते हैं। यही तो इंसान का स्वभाव है – हम 'चुनिंदा करुणा' में यकीन रखते हैं। हम कहते हैं कि जानवरों की जिंदगी भी कीमती है, लेकिन वही बातें हम एक बर्गर खाते वक्त भूल जाते हैं। नैतिकता तब ज्यादा स्वादिष्ट लगती है जब वह मैकडॉनल्ड्स के हैमबर्गर के साथ परोसी जाए।"

ट्विंकल खन्ना ने इस बहस का हल सुझाते हुए लिखा कि जरूरी है एक मध्य मार्ग निकाला जाए। उन्होंने कहा: "नसबंदी और टीकाकरण न केवल इंसानों की सुरक्षा के लिए जरूरी है, बल्कि जानवरों की भलाई के लिए भी। सौभाग्य से सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के आदेश में संशोधन कर इसे स्पष्ट किया। सभी कुत्तों को बिना किसी भेदभाव के उठाना केवल सुविधा के नाम पर बनाई गई एक नीति थी।"

क्या था सुप्रीम कोर्ट का मूल आदेश?

11 अगस्त को न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या को देखते हुए आदेश दिया था कि सभी स्ट्रे डॉग्स को सड़कों से हटाकर विशेष डॉग शेल्टर में रखा जाए, जिसे स्थानीय निकायों द्वारा स्थापित किया जाएगा। इसके बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हुए, जिनमें कई पशु अधिकार कार्यकर्ता, नागरिक समाज के सदस्य और आम लोग शामिल थे। बढ़ते विरोध के बीच सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में संशोधन करते हुए स्पष्ट किया कि केवल रेबीज़ संक्रमित या अत्यधिक आक्रामक कुत्तों को ही शेल्टर में रखा जाएगा, बाकी सभी को नसबंदी और टीकाकरण के बाद वहीं छोड़ा जाएगा जहां से उन्हें उठाया गया था।
 

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