Edited By Mehak, Updated: 04 May, 2025 02:29 PM

साउथ फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर अभिनेता प्रकाश राज ने हाल ही में एक इंटरव्यू में सरकारी नीतियों, धार्मिक विवादों और लोकतंत्र में सवाल पूछने के अधिकार को लेकर अपनी बेबाक राय रखी। उन्होंने साफ कहा कि वह किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि समाज में बढ़...
बाॅलीवुड तड़का : साउथ फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर अभिनेता प्रकाश राज ने हाल ही में एक इंटरव्यू में सरकारी नीतियों, धार्मिक विवादों और लोकतंत्र में सवाल पूछने के अधिकार को लेकर अपनी बेबाक राय रखी। उन्होंने साफ कहा कि वह किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि समाज में बढ़ रही असमानता और नफरत के खिलाफ अपनी आवाज उठा रहे हैं।
'सवाल पूछना मेरा अधिकार है' – प्रकाश राज
प्रकाश राज का कहना है कि वह सरकार से सवाल पूछना अपना लोकतांत्रिक अधिकार मानते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी देश के नागरिक को यह हक है कि वह सत्ता से जवाब मांगे और गलत नीतियों का विरोध करे। उन्होंने यह भी जोड़ा कि आलोचना करना किसी के खिलाफ नहीं, बल्कि समाज को बेहतर बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है।
धार्मिक मुद्दों पर उठाए सवाल
धार्मिक स्थलों को लेकर चल रहे विवादों पर प्रकाश राज ने अपनी बात रखते हुए कहा- 'अगर आप किसी मस्जिद को खोदेंगे तो मंदिर मिलेगा, मंदिर को खोदेंगे तो बुद्ध मिल सकते हैं। आखिर कहां तक खोदते रहेंगे?' उन्होंने आगे कहा कि इतिहास को बार-बार कुरेदने से समाज बंटता है, जबकि असली ज़रूरत है कि हम शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार जैसे ज़रूरी मुद्दों पर बात करें।
नेहरू, टीपू और औरंगज़ेब पर भी बोले प्रकाश राज
प्रकाश राज ने कुछ ऐतिहासिक हस्तियों पर बार-बार होने वाली चर्चाओं पर चुटकी लेते हुए कहा- 'नेहरू जब मरे, मैं पैदा भी नहीं हुआ था। औरंगज़ेब से मेरा क्या लेना देना? टीपू सुल्तान से मेरा क्या लेना देना? आज के सवालों का जवाब चाहिए, इतिहास में खोदने से क्या मिलेगा?'

सरकार की नीतियों पर उठाए सवाल
उन्होंने साफ किया कि वह किसी भी पार्टी या सरकार के विरोधी नहीं हैं, लेकिन अगर कोई नीति लोगों को बांटने का काम करती है, तो उस पर सवाल उठाना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि मंदिर-मस्जिद की राजनीति से देश को कोई लाभ नहीं होने वाला, बल्कि इससे समाज में नफरत बढ़ती है।
युवाओं से की सोचने की अपील
प्रकाश राज ने कहा कि एक कलाकार होने के नाते उनकी जिम्मेदारी है कि वे समाज को आईना दिखाएं और सोचने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने युवाओं से अपील की कि किसी भी मुद्दे पर आंख मूंदकर विश्वास न करें, बल्कि तथ्यों को समझें और सोच-समझकर निर्णय लें।

देशवासियों को दिया एकता का संदेश
अंत में, उन्होंने देशवासियों से कहा कि धर्म, जाति और भाषा के नाम पर बंटने के बजाय हमें एकजुट होकर देश की तरक्की के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने सरकार से भी आग्रह किया कि वो ऐसी नीतियां बनाए, जो समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलें। प्रकाश राज के इन बयानों ने सोशल मीडिया पर नई बहस छेड़ दी है। कुछ लोग उनके विचारों का समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ आलोचना कर रहे हैं। लेकिन एक बात तो साफ है- उन्होंने सवाल पूछकर लोकतंत्र की जड़ें हिलाने की नहीं, बल्कि मजबूत करने की कोशिश की है।