Edited By suman prajapati, Updated: 17 Jul, 2025 11:15 AM

भारतीय सिनेमा के इतिहास में कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जो सिर्फ अपने समय तक नहीं, बल्कि दशकों तक दर्शकों के दिलों पर राज करती हैं। 1975 में रिलीज हुई ‘शोले’ फिल्म भी उन्हीं फिल्मों में से एक है, जिसने न केवल बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड बनाए, बल्कि हिंदी...
मुंबई. भारतीय सिनेमा के इतिहास में कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जो सिर्फ अपने समय तक नहीं, बल्कि दशकों तक दर्शकों के दिलों पर राज करती हैं। 1975 में रिलीज हुई ‘शोले’ फिल्म भी उन्हीं फिल्मों में से एक है, जिसने न केवल बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड बनाए, बल्कि हिंदी सिनेमा को एक नया मुकाम दिया। ‘शोले’ की लोकप्रियता केवल भारत तक सीमित नहीं, बल्कि विदेशों में भी इसका जादू चलता है। इसी बीच शोले की 50वीं एनिवर्सरी से एक महीने पहले, ईरान ने अपने एक अखबार के पूरे पन्ने पर इस लोकप्रिय फिल्म और उसकी टीम को सम्मानित किया।
ईरान के एक प्रमुख अखबार ने अपने पहले पन्ने पर इस फिल्म को समर्पित करते हुए विशेष लेख प्रकाशित किया। इस लेख में न सिर्फ फिल्म के मुख्य कलाकारों- अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, संजीव कुमार, जया बच्चन और अमजद खान - का उल्लेख किया गया, बल्कि फिल्म के निर्देशन और लेखन को भी भरपूर सराहा गया।
ईरानी मीडिया ने दी श्रद्धांजलि
मुंबई में स्थित इस्लामी गणराज्य ईरान के आधिकारिक सोशल मीडिया पेज पर एक पोस्ट शेयर की गई जिसमें अखबार की उस विशेष कटिंग को दिखाया गया। इसमें बताया गया कि ‘शोले’ को लेकर ईरान में आज भी गहरी दिलचस्पी है। इस फिल्म की लोकप्रियता वहां इतनी है कि इसे भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की सांस्कृतिक धरोहर माना जाता है।
पोस्ट में यह भी उल्लेख था कि ईरानी एक्टर ‘नवीद ममजा’ ने एक स्थानीय फिल्म में खलनायक की भूमिका निभाते हुए गब्बर सिंह से प्रेरणा ली थी। उन्होंने अमजद खान के खतरनाक अंदाज, हावभाव और संवाद शैली को अपनी अदायगी में शामिल किया था, जिससे दर्शकों पर गब्बर की छवि दोबारा जीवित हो उठी।
बता दें, फिल्म में जय और वीरू की दोस्ती, गब्बर सिंह की दहशत, ठाकुर की प्रतिशोध की भावना और बसंती की चुलबुली बातें सब कुछ आज भी यादगार हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर उम्र के लोग इस फिल्म के डायलॉग्स को याद रखते हैं।