Edited By suman prajapati, Updated: 13 May, 2025 05:06 PM

वुड के मशहूर और सम्मानित लेखक-गीतकार जावेद अख्तर ने हाल ही में अपने जीवन से जुड़ा एक बेहद दिलचस्प और प्रेरणादायक किस्सा शेयर किया है। उन्होंने खुलासा किया कि 1970 के दशक में उन्होंने मुंबई के सबसे महंगे और प्रतिष्ठित इलाकों में से एक, बांद्रा...
मुंबई. बॉलीवुड के मशहूर और सम्मानित लेखक-गीतकार जावेद अख्तर ने हाल ही में अपने जीवन से जुड़ा एक बेहद दिलचस्प और प्रेरणादायक किस्सा शेयर किया है। उन्होंने खुलासा किया कि 1970 के दशक में उन्होंने मुंबई के सबसे महंगे और प्रतिष्ठित इलाकों में से एक, बांद्रा बैंडस्टैंड में एक 4,000 स्क्वायर फीट का बंगला महज 5 लाख रुपये में खरीदा था।
एक इंटरव्यू के दौरान जब उनसे मज़ाक में पूछा गया कि क्या वे मुंबई रियल एस्टेट के इतिहास में केवल शब्दों (लेखन) के बल पर बंगला खरीदने वाले पहले इंसान हैं, तो उन्होंने हंसते हुए कहा: "मुझे नहीं पता। मुझे इसका पता लगाने के लिए हर किसी के घर जाकर पूछना पड़ेगा!"
अख्तर ने दिग्गज लेखक-निर्देशक गुलज़ार का ज़िक्र करते हुए बताया कि उनका बांद्रा स्थित बंगला "बोस्कियाना", उनकी बेटी मेघना गुलज़ार (जिन्हें घर में बोस्की कहा जाता है) के नाम पर रखा गया है। उन्होंने यह भी बताया कि गुलज़ार ने न केवल स्क्रिप्ट और कविताएं लिखीं, बल्कि डायरेक्शन से भी कमाई की, जिससे यह संपत्ति ली गई।
उनकी पत्नी राखी, उस समय की एक सफल एक्ट्रेस थीं, जिनकी लोकप्रियता और आर्थिक स्थिरता ने भी इस सपने को पूरा करने में सहयोग किया।

उन्होंने बताया कि बीआर चोपड़ा ने साहिर को एक फिल्म के गाने के बदले में जुहू में जमीन दी थी। साहिर ने उस जमीन पर एक इमारत बनाई थी, जिसके ऊपर की दो मंज़िलें उन्होंने खुद के लिए रखीं।
यह इमारत प्रसिद्ध निर्माता करीम भाई नाडियाडवाला ने बनाई थी, एक अन्य फिल्म के बदले में।
इस बात से यह जाहिर होता है कि उस दौर में पैसा कमाने के पारंपरिक तरीके के अलावा भी सृजनात्मक सौदेबाज़ी का चलन था।
इसके बाद जावेद अख्तर ने दिवंगत अभिनेता बलराज साहनी की भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि साहनी ने अपनी एक्टिंग फीस के बदले एक बंगला बनवाया था, जो अब जर्जर हालत में है। इस पर अफसोस जताते हुए जावेद कहते हैं कि उस बंगले की स्थिति देखकर दुख होता है।
बलराज साहनी की बेटी शबनम की असमय मौत ने उन्हें गहरे अवसाद में डाल दिया था, और उसी दुख में वह 1973 में, 59 वर्ष की आयु में, अपने ही घर में दिल का दौरा पड़ने से चल बसे थे।