Edited By suman prajapati, Updated: 11 Dec, 2025 10:48 AM

बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी और उनके पति राज कुंद्रा इस साल अपने काम से ज्यादा 60 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले को लेकर सुर्खियों में रहे हैं। इस मामले को लेकर कोर्ट ने उनकी विदेश यात्रा पर भी रोक लगा दी थी, जिसकी मंगलवार को अदालत में सुनवाई...
मुंबई. बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी और उनके पति राज कुंद्रा इस साल अपने काम से ज्यादा 60 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले को लेकर सुर्खियों में रहे हैं। इस मामले को लेकर कोर्ट ने उनकी विदेश यात्रा पर भी रोक लगा दी थी, जिसकी मंगलवार को अदालत में सुनवाई हुई। इस दौरान दोनों की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट अबाद पोंडा ने अदालत से राज कुंद्रा को लंदन जाने की अनुमति देने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि राज कुंद्रा के पिता की सेहत बेहद नाजुक है, इसलिए उन्हें तत्काल विदेश यात्रा करनी पड़ सकती है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उठाए सवाल
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सबसे पहले मामले की गंभीरता और इसमें शामिल रकम पर सवाल उठाए। अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को जानकारी दी गई कि विवाद की कुल रकम लगभग 60 करोड़ रुपये है। इसके बाद अदालत ने साफ शब्दों में कहा कि विदेश जाने की अनुमति तभी मिलेगी, जब याचिकाकर्ता अदालत में पूरी 60 करोड़ रुपये की राशि जमा करें।
सीनियर एडवोकेट पोंडा ने इस शर्त का विरोध किया और कहा कि किसी भी कानून में ऐसी बाध्यता नहीं है कि विदेश यात्रा की इजाजत देने से पहले पूरी रकम जमा करानी पड़े।

कोर्ट ने जताई शंका
अदालत ने कहा कि वह याचिकाकर्ताओं की bona fide (नीयत) से संतुष्ट नहीं है और यह भरोसा नहीं किया जा सकता कि विदेश जाने के बाद वे समय पर वापस आ जाएंगे। इसलिए अदालत ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि पूरी 60 करोड़ रुपये की राशि का सुरक्षा कवच आवश्यक है।
इसके बाद पोंडा ने कहा कि पूरी रकम की जगह कोई दूसरी सुरक्षा जैसे सुरिटी या गारंटी स्वीकार की जाए। इस पर अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा- याचिकाकर्ता अपनी नीयत साबित करने के लिए राष्ट्रीयकृत बैंक की ‘निरंतर बैंक गारंटी’ जमा करें।
राशि कम करने का अनुरोध कोर्ट ने ठुकराया
एडवोकेट पोंडा ने कहा कि अगर गारंटी ही लेनी है तो राशि को ‘वाजिब’ किया जाए, लेकिन अदालत ने इसे स्पष्ट रूप से अस्वीकार कर दिया और कहा- गारंटी पूरी 60 करोड़ की ही होनी चाहिए और वह भी निरंतर प्रभाव में रहने वाली।
EOW को कॉपी न दिए जाने पर अदालत नाराज़
सुनवाई के दौरान सरकारी पक्ष ने कहा कि इस आवेदन की कॉपी अभी तक इकनॉमिक ऑफ़ेंसेस विंग (EOW) को नहीं मिली है। यह सुनकर अदालत ने नाराज़गी जताई और मामले को तीन सप्ताह बाद के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दे दिया।
हालांकि, एडवोकेट पोंडा ने इसका विरोध किया और कहा कि वे बैंक गारंटी को लेकर अपने मुवक्किल से निर्देश लेंगे, इसलिए क्रिसमस ब्रेक से पहले सुनवाई की तारीख दी जाए। इस पर अदालत ने रियायत दिखाते हुए मामले को एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया।