Edited By suman prajapati, Updated: 19 Jan, 2025 04:57 PM
कश्मीर घाटी में 90 के दशक में हिंदुओं के पलायन की दर्दनाक घटना आज भी कई परिवारों के दिलों में जख्म बनकर जिंदा है। इस त्रासदी का सामना करने वालों में बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर अनुपम खेर का परिवार भी शामिल था। ऐसे में हाल ही में, अनुपम खेर ने...
मुंबई. कश्मीर घाटी में 90 के दशक में हिंदुओं के पलायन की दर्दनाक घटना आज भी कई परिवारों के दिलों में जख्म बनकर जिंदा है। इस त्रासदी का सामना करने वालों में बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर अनुपम खेर का परिवार भी शामिल था। ऐसे में हाल ही में, अनुपम खेर ने इंस्टाग्राम पर एक भावुक पोस्ट के जरिए उस दिन को याद किया और कश्मीरी हिंदुओं के दर्द को साझा किया।
19 जनवरी को कश्मीरी हिंदुओं के पलायन दिवस के मौके पर अनुपम खेर ने कविता सुनाई, जिसमें विस्थापित कश्मीरी पंडितों का दर्द और उनकी यादें छिपी थीं। कश्मीरी पंडितों की त्रासदी को बयां करती कविता सुनाते हुए अनुपम खेर की आंखें भी भर आईं।
अनुपम खेर ने सोशल मीडिया पर कविता शेयर की, जिसे कश्मीरी पंडित कवि और फिल्म लेखक सुनयना काचरू भिडे ने लिखा है। सुनयना काचरू खुद भी एक विस्थापित कश्मीरी पंडित हैं। कविता का शीर्षक 'कश्मीरी पंडितों के घर' था, जिसमें डल झील, केसर की महक, पश्मीना शॉल और झेलम का उल्लेख किया गया। कविता की पंक्तियां उन घरों की याद दिलाती हैं जो अब खंडहर बन चुके हैं, लेकिन उनके अंदर बसी यादें और उनका दर्द आज भी जिंदा हैं।
इस पोस्ट के साथ अनुपम खेर ने कैप्शन में लिखा, “19 जनवरी, 1990 कश्मीरी हिंदुओं का पलायन दिवस। 35 साल हो गए हैं, जब 5,00,000 से ज्यादा हिंदुओं को उनके घरों से बेरहमी से निकाल दिया गया था। वे घर अभी भी वहीं हैं, लेकिन उन्हें भुला दिया गया है। वे खंडहर हैं। इस त्रासदी की शिकार सुनयना काचरू भिडे ने उन घरों की यादों के बारे में दिल छूने वाली एक कविता लिखी। कविता की ये पंक्तियां उन सभी कश्मीरी पंडितों को वह मंजर याद दिला देंगी, जो इस भीषण त्रासदी के शिकार हुए थे। यह दुखद और सत्य दोनों है।”
अनुपम खेर इस वक्त कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ में जयप्रकाश नारायण का किरदार निभाते हुए चर्चा में हैं। इस फिल्म में कंगना रनौत ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का किरदार निभाया किया है और फिल्म का निर्देशन भी किया है।