Edited By suman prajapati, Updated: 03 Jun, 2025 01:20 PM

टीवी और फिल्म एक्टर एजाज खान एक बार फिर कानूनी विवादों में फंस गए हैं। उन पर एक महिला ने यौन शोषण और धोखाधड़ी जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। इन आरोपों के बाद अब एजाज ने खुद को गिरफ्तारी से बचाने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की...
मुंबई. टीवी और फिल्म एक्टर एजाज खान एक बार फिर कानूनी विवादों में फंस गए हैं। उन पर एक महिला ने यौन शोषण और धोखाधड़ी जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। इन आरोपों के बाद अब एजाज ने खुद को गिरफ्तारी से बचाने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की है।
एजाज खान के वकील अशोक सराओगी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि यह एफआईआर "कानूनन गलत और दुर्भावनापूर्ण" है, और उनके मुवक्किल की पुलिस हिरासत की कोई आवश्यकता नहीं है।
अब इस मामले पर बॉम्बे हाई कोर्ट में अगले सप्ताह सुनवाई होनी है, जहां एजाज की अग्रिम जमानत पर फैसला लिया जाएगा।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, एजाज खान पर एक महिला एक्ट्रेस ने मुंबई के चारकोप पुलिस स्टेशन में दर्ज शिकायत में आरोप लगाया कि एजाज ने उन्हें अपने डिजिटल शो 'हाउस अरेस्ट' में भूमिका देने का झांसा देकर पहले नजदीकी बढ़ाई, फिर शादी का वादा करते हुए शारीरिक संबंध बनाए। पीड़िता का दावा किया कि शूटिंग के दौरान एजाज ने उनसे व्यक्तिगत रिश्ते की शुरुआत की और बाद में उन्हें अपने घर बुलाकर जबरदस्ती संबंध बनाए। उनका यह भी कहना है कि एजाज ने करियर में मदद करने, आर्थिक सपोर्ट देने और शादी का भरोसा दिलाकर बार-बार उनके साथ शोषण किया।
एफआईआर में क्या कहा गया है?
शिकायत में बताया गया है कि 4 अप्रैल 2025 को दोपहर लगभग 2:15 बजे एजाज ने पीड़िता को अपने जोगेश्वरी (वेस्ट) स्थित घर बुलाया और वहीं कथित तौर पर उनके साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद, 24 अप्रैल 2025 को दोपहर करीब 3:15 बजे वह पीड़िता के घर आए और एक बार फिर शादी का झूठा वादा कर शारीरिक संबंध बनाए। पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया कि एजाज ने अपनी लोकप्रियता और शो होस्ट की हैसियत का गलत इस्तेमाल कर उनके विश्वास के साथ धोखा किया।
डिंडोशी कोर्ट से हो चुकी है एजाज की याचिका खारिज
इस मामले में एजाज पहले डिंडोशी सेशंस कोर्ट से अग्रिम जमानत के लिए गुहार लगा चुके थे, लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने इस दौरान कहा कि भले ही पीड़िता बालिग हो, लेकिन उसकी दी गई सहमति स्पष्ट, स्वेच्छा और बिना दबाव के होनी चाहिए, जो इस केस में दिखाई नहीं देती।