Edited By suman prajapati, Updated: 30 Jun, 2025 04:10 PM

टीवी की पॉपुलर एक्ट्रेस और 'बिग बॉस' फेम पवित्रा पुनिया इन दिनों पूजा-पाठ और भगवान की भक्ति की ओर खासा झुकाव दिखा रही हैं। हाल ही में एक पॉडकास्ट में उन्होंने अपनी धार्मिक आस्थाओं के बारे में खुलकर बात की और पीरियड्स में मंदिर जाने पर अपनी बात रखी।...
मुंबई. टीवी की पॉपुलर एक्ट्रेस और 'बिग बॉस' फेम पवित्रा पुनिया इन दिनों पूजा-पाठ और भगवान की भक्ति की ओर खासा झुकाव दिखा रही हैं। हाल ही में एक पॉडकास्ट में उन्होंने अपनी धार्मिक आस्थाओं के बारे में खुलकर बात की और पीरियड्स में मंदिर जाने पर अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें पीरियड्स के दौरान मंदिर में जाने से रोका गया था और उन्हें यह परंपरा गलत लगती है।
पीरियड्स कोई बीमारी नहीं, यह प्राकृतिक प्रक्रिया है
पवित्रा पुनिया ने पॉडकास्ट में पीरियड्स के दौरान मंदिर जाने पर लगे प्रतिबंध को लेकर अपनी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि "पीरियड्स कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह औरतों के शरीर का एक सामान्य हिस्सा है।"
हनुमान मंदिर में जाने पर भी सवाल उठाए
पवित्रा पुनिया ने खासतौर पर हनुमान मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर बने भ्रम पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, "यह सिर्फ एक भ्रम है कि पीरियड्स के दौरान हनुमान मंदिर नहीं जाना चाहिए।"
उनके अनुसार, "महिला का शरीर इस दौरान 'अशुद्ध' नहीं होता।" पवित्रा ने आगे कहा, कि इस दौरान महिलाएं अपनी पूरी शक्ति और ऊर्जा से भरी होती हैं, और वे बहुत प्योर होती हैं।

महिला के शरीर को लेकर समाज की पुरानी सोच पर सवाल
पवित्रा ने इस संदर्भ में आगे कहा कि यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और यदि हम प्रकृति का सम्मान करते हैं, तो हमें इसका अपमान नहीं करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि "ऐसी रोक-टोक केवल महिलाओं को ही नहीं, बल्कि भगवान के विश्वास को भी ठेस पहुंचाती है।"
भगवान के नज़रिए से सब एक समान
पवित्रा का मानना है कि "भगवान की नज़र से सब एक समान हैं।" उन्होंने कहा कि भगवान का सच्चा प्यार और श्रद्धा दिल से होती है, शरीर से नहीं। अगर हम ईश्वर को सच्चे मन से मानते हैं, तो किसी भी भेदभाव की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
माता के कपड़े बदलने पर जताई थी आपत्ति
बता दें, इससे पहले पवित्रा ने एक इंटरव्यू में मंदिर में माता के कपड़े मर्दों द्वारा बदलने पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था- 'मैं वो औरत हूं जो इस चीज के भी खिलाफ हूं कि मंदिरों में जहां माता की मूर्ति होती है, जहां-जहां देवी का रूप है, उसके कपड़े एक आदमी कैसे बदल सकता है। तुम को किसने हक दिया। तुम पूजा करो..तुम पंडित हो , पुजारी हो..साधू हो तुम करो पूजा, कपड़े बदलने का हक किसने दिया।