Edited By Shivani Soni, Updated: 28 Aug, 2024 12:18 PM
कोलकाता में हाल ही में जूनियर डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या का मामला सुर्खियों में है। इस विवाद के बीच मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले भी उजागर हुए हैं। इन खुलासों के बाद, बंगाली सिनेमा में भी समान जांच की मांग...
मुंबई: कोलकाता में हाल ही में जूनियर डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या का मामला सुर्खियों में है। इस विवाद के बीच मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले भी उजागर हुए हैं। इन खुलासों के बाद, बंगाली सिनेमा में भी समान जांच की मांग उठने लगी है।
बंगाली एक्ट्रेस रीताभरी चक्रवर्ती ने सोशल मीडिया के माध्यम से बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से अनुरोध किया है कि बंगाली सिनेमा में भी हेमा कमीशन जैसी एक समिति गठित की जाए। उन्होंने इंस्टाग्राम स्टोरी पर एक पोस्ट में लिखा, "मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में हेमा कमीशन की रिपोर्ट के बाद यौन हिंसा के मामलों के खुलासे हुए हैं। इस पर गौर करते हुए मैं सोच रही हूं कि बंगाली फिल्म इंडस्ट्री में भी ऐसी जांच क्यों नहीं की जा सकती?"
उन्होंने अपनी पोस्ट में यह भी उल्लेख किया कि कई ऐसे निर्देशक और निर्माता हैं जिनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं, लेकिन वे सजा से बच जाते हैं और कई बार तो सार्वजनिक रूप से समर्थन का दिखावा भी करते हैं। रीताभरी ने अपनी साथी कलाकारों से अपील की कि वे इन आरोपियों के खिलाफ आवाज उठाएं, भले ही इस प्रक्रिया में उन्हें डर या काम की कमी का सामना करना पड़े।
"क्या हमें युवा अभिनेत्रियों के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं है?"
रीताभरी ने पोस्ट के अंत में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को टैग करते हुए लिखा कि वे ऐसी ही एक जांच, रिपोर्ट और आवश्यक बदलाव की उम्मीद करती हैं।
मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में हो रहे बदलाव
हेमा कमेटी की रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में भी बदलाव देखे जा रहे हैं। केरल पुलिस ने हाल ही में निर्देशक रंजीत के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इसके अलावा, सिद्दीकी और मोहनलाल जैसे प्रमुख कलाकारों ने भी इस्तीफा दे दिया है, और कलाकारों की संस्था AMMA की कार्यकारी समिति को भंग कर दिया गया है।
रीताभरी चक्रवर्ती, जो कि बंगाली सिनेमा की मशहूर एक्ट्रेस हैं और हिंदी फिल्मों में भी अपनी छाप छोड़ चुकी हैं, ने इस मुद्दे पर अपने विचार साझा किए हैं। उनके पोस्ट ने बंगाली सिनेमा में यौन उत्पीड़न की गंभीरता को उजागर किया है और एक व्यापक जांच की मांग को बल प्रदान किया है।