'जो बोलते हैं बोलने दो' अभिषेक के नाम अमिताभ बच्चन ने लिखा लंबा-चौड़ा पोस्ट, बेटे की तारीफ में छाप दिया पूरा पन्ना

Edited By Smita Sharma, Updated: 25 Nov, 2024 10:57 AM

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बाॅलीवुड एक्टर अभिषेक बच्चन की फिल्म 'आई वांट टू टॉक' शुक्रवार, 22 नवंबर को रिलीज हो गई है। शूजीत सरकार के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म को र तरफ से काफी सराहना मिल रही है, खासकर अभिषेक की एक्टिंग को। ऐसा लगता है कि उन्होंने इसके साथ अपना खुद का...

मुंबई: बाॅलीवुड एक्टर अभिषेक बच्चन की फिल्म 'आई वांट टू टॉक' शुक्रवार, 22 नवंबर को रिलीज हो गई है। शूजीत सरकार के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म को र तरफ से काफी सराहना मिल रही है, खासकर अभिषेक की एक्टिंग को। ऐसा लगता है कि उन्होंने इसके साथ अपना खुद का बेंचमार्क बना लिया है। हालांकि, बॉक्स ऑफिस नंबरों की बात करें तो फिल्म को वैसी प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है। फिल्म की तमाम तारीफों के बीच अमिताभ बच्चन ने भी अपने ब्लॉग पर फिल्म के बारे में अपने विचार लिखे।

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बिग बी ने अपने ब्लॉग पर लिखा- 'कुछ फिल्में आपको मनोरंजन के लिए आती हैं.. कुछ फिल्में आपको फिल्म बनाने के लिए आमंत्रित करती हैं.. मैं बस यही कहना चाहता हूं.. यह आपको फिल्म बनने के लिए आमंत्रित करता है..! यह आपको आपकी सीट से धीरे से उठाता है थिएटर में उतने ही धीरे से ले जाता है, स्क्रीन के अंदर रखता है और आप इसे देखते हैं .. इससे भागने की इच्छा का कोई मौका नहीं और .. अभिषेक .. आप अभिषेक नहीं हैं .. आप फिल्म के अर्जुन सेन हैं।'

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पिता हरिवंश राय बच्चन की लाइन को दोहराते हुए उन्होंने आगे कहा, 'अच्छे ने अच्छा और, बुरे ने बुरा जाना मुझे, जिसकी जितनी जरूरत थी, उसने उतना ही पहचाना मुझे। वे जो कहते हैं उन्हें कहने दें .. लेकिन मैं यही कहता हूं। मुझमें अच्छाई के लिए लालच अच्छा हो सकता है। आपका लालच बुरा भी हो सकता है, लेकिन अच्छा सोचना या बुरा सोचना आपकी 'ज़रूरत' थी.. और यही मेरी पहचान थी.. मैं जो था वैसा नहीं था..या सोचो या मुझे अच्छा समझो.. इतना तो तुम मुझे समझ सकते हो।'

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 अंत में बिग बी ने लिखा- 'व्यंग्य का अंतिम चाबुक और सच्चाई.. आप किसी को अच्छा समझते हैं, क्योंकि ऐसा सोचना आपकी ज़रूरत है.. आप किसी को बुरा मानते हैं क्योंकि आपकी ज़रूरत आपके लिए है ऐसा सोचो .. अच्छे और बुरे के लिए आपकी ज़रूरत एक सोच थी, क्योंकि आपने मेरी पहचान को कितना महत्व दिया था !!! जीवन का शाश्वत सत्य यह था कि मेरे बारे में झूठ लिखना। आपकी ज़रूरत थी कि मुझमें अच्छाई देखो। तुमने मुझे कितना पहचाना .. मुझे पहचाना .. मुझे नहीं पहचाना।'

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