Edited By Shivani Soni, Updated: 20 Aug, 2024 12:43 PM
रियलिटी शो बिग बॉस 17 के विनर और स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी सोशल मीडिया पर अक्सर चर्चाओं में रहते हैं। हाल ही में उन्होंने अपनी दूसरी शादी और कोलकाता में हुए रेप और मर्डर केस पर खुलकर प्रतिक्रियाएँ दी हैं। वे निरंतर दोषियों को सजा दिलाने और...
मुंबई: रियलिटी शो बिग बॉस 17 के विनर और स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी सोशल मीडिया पर अक्सर चर्चाओं में रहते हैं। हाल ही में उन्होंने अपनी दूसरी शादी और कोलकाता में हुए रेप और मर्डर केस पर खुलकर प्रतिक्रियाएँ दी हैं। वे निरंतर दोषियों को सजा दिलाने और महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे को सोशल मीडिया पर उठाते रहे हैं।
हाल ही में रक्षाबंधन के मौके पर उन्होंने एक ट्वीट किया, जो तेजी से वायरल हो रहा है। इस पोस्ट में उन्होंने एक शायरी के माध्यम से महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाया। उन्होंने लिखा, 'अपमान से बाजार से, काली रात से, तो दहेज की आग से। दामन के दाग से या किसी अनजान से तो चेहरे पर तेजाब से। भाई उसकी रक्षा करना।' उनकी यह शायरी सीधे दिल को छूने के बजाय दिमाग को झकझोरने वाली है, जिसने फैंस और लोगों का दिल जीत लिया है।
वहीं फैंस उनके इस पोस्ट पर कमेंट कर बहनों की सुरक्षा की बातें कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, 'मुझे मुनव्वर फारूकी पर गर्व है क्योंकि ध्रुव राठी के साथ वे एकमात्र प्रभावशाली व्यक्ति हैं जो इस संवेदनशील मुद्दे पर बोल रहे हैं।' वहीं एक अन्य यूजर ने कहा, 'भाई, आप बहुत अच्छे हो।'
इससे पहले मुनव्वर ने एक वीडियो शेयर किया था, जिसमें उन्होंने 'मुबारक हो बेटी हुई है' कैप्शन दिया था। इस वीडियो में उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा की बात की और कहा था, 'जो हम सोशल मीडिया पर देख रहे हैं वह तो रिपोर्टेड है, सोचिए जो रिपोर्ट नहीं होती? इतनी तकनीक और सब हासिल करने के बाद हम कहां खड़े हैं? सियासत धर्म या एक दूसरे से लड़ने में व्यस्त है, शायद 78 साल बाद भी ऐसा हाल न होता।'
इसी बीच, एक्टर आयुष्मान खुराना की एक कविता भी चर्चा में है। उन्होंने हाल ही में एक कविता प्रस्तुत की, जो ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई बर्बरता पर आधारित है। इस कविता का शीर्षक है- "काश! मैं भी लड़का होती।" कविता के माध्यम से आयुष्मान ने संवेदनशील मुद्दों को उठाया है, जिसमें उन्होंने यह व्यक्त किया कि अगर वे एक लड़का होतीं, तो शायद उन्हें सुरक्षा और सम्मान मिलता। कविता में उन्होंने लिखा, 'काश मैं भी लड़का होती, बिना कुंडी लगाकर सोती, काश मैं भी लड़का होती।' उनकी यह कविता समाज में महिलाओं की स्थिति और सुरक्षा पर गहरी टिप्पणी करती है, और इसे सुनकर किसी का भी दिल दहल सकता है।