Edited By suman prajapati, Updated: 12 May, 2025 02:08 PM

भारत-पाकिस्तान मामले पर काफी दिनों तक मौन रहने के बाद बॉलीवुड महानायक अब काफी एक्टिव दिख रहे हैं। एक्टर ने पूरे 20 दिन बाद बीते शनिवार को पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। वहीं अब इसके बाद एक्टर ने फिर बीती रात अपने एक्स पर...
मुंबई. भारत-पाकिस्तान मामले पर काफी दिनों तक मौन रहने के बाद बॉलीवुड महानायक अब काफी एक्टिव दिख रहे हैं। एक्टर ने पूरे 20 दिन बाद बीते शनिवार को पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। वहीं अब इसके बाद एक्टर ने फिर बीती रात अपने एक्स पर मौजूदा परिस्थिति पर एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने रामचरितमानस का भी जिक्र किया है।
अब जब भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर हो गया है और तनाव कम हो रहा है। तब अमिताभ ने देर रात अपने एक्स पर तुलसीदास जी की रामचरितमानस की एक पंक्ति का जिक्र करते हुए लिखा, ‘सूर समर करनी करहिं, कहि न जनावहिं आप।’ पंक्ति का अर्थ बताते हुए उन्होंने लिखा, “पंक्ति का अर्थ है कि शूरवीर अपने पराक्रम को युद्ध में करके दिखाते हैं, वे अपनी वीरता का प्रदर्शन करने के लिए बातें नहीं बनाते। यह पंक्ति तुलसीदास जी के रामचरितमानस के लक्ष्मण-परशुराम संवाद से ही ली गई है, कि शूरवीर अपनी वीरता को युद्ध में करके दिखाते हैं, वे अपने मुंह से अपनी प्रशंसा नहीं करते। कायर लोग ही युद्ध में शत्रु को सामने देखकर अपनी वीरता की डींगें हांका करते हैं।
अमिताभ ने अपनी पोस्ट में आगे अपने पिता कवि हरिवंश राय बच्चन की पंक्तियों का जिक्र किया। साथ ही इस पोस्ट से पहले शेयर की उनकी कविता के बारे में भी लिखा। उन्होंने लिखा, “हाइलाइट की गई लाइन पूरी है। जिसका मतलब है कि युद्ध में वीर बहादुर, अपनी वीरता दिखाते हैं। वे अपनी बहादुरी और वीरता का गुणगान नहीं करते। वो कायर हैं जो दुश्मन को देखकर केवल अपनी बहादुरी का नारा लगाते हैं। शब्दों ने व्यक्त किया है पहले से कहीं अधिक सत्य। एक कवि और उनकी दृष्टि पहले से कहीं अधिक महान। बाबूजी के यह शब्द 1965 के पाकिस्तान के साथ युद्ध के इर्द-गिर्द लिखे गए। हम जीते और विजयी हुए, जिसके लिए उन्हें 1968 में प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला, यानी लगभग 60 साल पहले। 60 साल पहले एक दृष्टि जो आज भी वर्तमान परिस्थितियों में सांस लेती है।”