Edited By suman prajapati, Updated: 08 Dec, 2025 02:58 PM

साउथ फिल्म इंडस्ट्री को हिला देने वाली 2017 की एक्ट्रेस अपहरण और यौन उत्पीड़न केस में सोमवार को एक महत्वपूर्ण मोड़ आया। लंबे समय से चल रही कानूनी प्रक्रिया के बाद एर्नाकुलम प्रिंसिपल सेशंस कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए एक्टर दिलीप को सभी आरोपों से...
मुंबई. साउथ फिल्म इंडस्ट्री को हिला देने वाली 2017 की एक्ट्रेस अपहरण और यौन उत्पीड़न केस में सोमवार को एक महत्वपूर्ण मोड़ आया। लंबे समय से चल रही कानूनी प्रक्रिया के बाद एर्नाकुलम प्रिंसिपल सेशंस कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए एक्टर दिलीप को सभी आरोपों से बरी कर दिया। वहीं, इस केस से जुड़े पहले से छठे तक के मुख्य आरोपियों को दोषी पाया गया है। यह फैसला लगभग आठ वर्षों की सुनवाई, 200+ गवाहों और कई दौर की फॉरेंसिक जांच के बाद सामने आया।
कैसे अंजाम दिया गया था अपराध?
ट्रायल दस्तावेजों और जांच रिपोर्ट के अनुसार- 17 फरवरी 2017 की रात एक्ट्रेस की कार का पीछा किया गया। मुख्य आरोपी पल्सर सुनी और उसके साथी जबरन कार में घुस आए। चलती कार में उन्होंने एक्ट्रेस के साथ मारपीट, यौन उत्पीड़न और गैंगरेप किया।
इस घटना के वीडियो भी रिकॉर्ड किए गए, जिन्हें बाद में धमकी देने के लिए उपयोग किया जाना था।
कोर्ट ने माना कि पूरी घटना पूर्व-नियोजित साजिश के तहत की गई।अपराधियों ने अपहरण, बंधक बनाना, शील भंग, गैंगरेप और इलेक्ट्रॉनिक अपराध जैसी कई गंभीर धाराओं के तहत अपराध किया।
दिलीप के खिलाफ क्या थे आरोप?
मलयालम के फेमस एक्टर दिलीप को जांच एजेंसी ने इस केस में आठवां आरोपी बनाया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने पल्सर सुनी गैंग के साथ अपराध की योजना बनाई। जांच के दौरान सबूत छिपाने, गवाहों को प्रभावित करने और जमानत की शर्तों का उल्लंघन करने की कोशिश की। लेकिन, गवाहों की विस्तृत जिरह, तकनीकी सबूतों की फॉरेंसिक जांच और कई वर्षों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि दिलीप की संलिप्तता साबित करने के लिए पर्याप्त प्रमाण मौजूद नहीं हैं। इसलिए उन्हें पूरी तरह बरी किया जाता है।
कोर्ट में क्या कुछ हुआ इस केस के दौरान?
यह केस शुरू से ही बेहद हाई-प्रोफाइल रहा। सुनवाई के दौरान 200 से अधिक गवाह पेश किए गए। फिल्म इंडस्ट्री की कई बड़ी हस्तियों ने गवाही दी। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, व्हाट्सऐप चैट, कॉल रिकॉर्ड और वीडियो फुटेज की फॉरेंसिक जांच हुई। जांच अधिकारियों और टीम को कई बार बदला गया। दिलीप की जमानत रद्द कराने के प्रयास भी सुर्खियों में रहे।
जज हनी एम. वर्गीज़ ने अपने फैसले में स्पष्ट कहा- प्रॉसिक्यूशन के सबूत केवल मुख्य आरोपियों की भूमिका साबित कर पाए। दिलीप के खिलाफ प्रत्यक्ष या तकनीकी प्रमाण नहीं मिल सके।
आगे क्या होगा?
दिलीप ने कोर्ट के फैसले पर राहत जताई और कहा कि सच सामने आ गया। वहीं, पीड़िता की ओर से बयान आया कि वे फैसले की कॉपी मिलने के बाद हाई कोर्ट में अपील पर विचार करेंगी।