थिएटर की दुनिया ने खोया नायाब सितारा, इरफान खान के NSD बैचमेट आलोक चटर्जी का निधन

Edited By Mehak, Updated: 07 Jan, 2025 01:40 PM

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थिएटर के प्रसिद्ध अभिनेता आलोक चटर्जी का निधन हो गया। वह इरफान खान के बैचमेट रहे थे और दोनों ने साथ में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) में प्रशिक्षण लिया था। आलोक चटर्जी को उनके शानदार अभिनय और थिएटर में योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

बाॅलीवुड तड़का : जाने-माने थिएटर अभिनेता आलोक चटर्जी, जो दिवंगत अभिनेता इरफान खान के बैचमेट रहे थे, अब इस दुनिया में नहीं रहे। सोमवार रात करीब 11 बजे उनका निधन हो गया। उनकी तबीयत लंबे समय से खराब चल रही थी, और कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था, जिससे उनका निधन हो गया।

स्वानंद किरकिरे ने जताया शोक

आलोक चटर्जी के निधन से फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई है। कई फैंस और सेलेब्स उनके निधन पर दुख जता रहे हैं। प्रसिद्ध गीतकार स्वानंद किरकिरे ने भी सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त करते हुए आलोक चटर्जी की एक तस्वीर शेयर की और लिखा, 'आलोक चटर्जी... एक शानदार अभिनेता चला गया! वह एनएसडी में इरफान के बैचमेट थे। अगर इरफान कालिदास थे, तो आलोक चटर्जी विलोम थे! विलोम अपने कालिदास से मिलने चला गया। आपकी आत्मा को शांति मिले, आलोक भाई!'

आलोक का अंतिम संस्कार आज

आलोक चटर्जी का अंतिम संस्कार आज दोपहर बाद किया जाएगा।

इरफान खान के करीबी दोस्त थे आलोक चटर्जी

आलोक और इरफान खान 1984 से 1987 तक नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) में बैचमेट रहे थे। दोनों ने एनएसडी में तीन साल तक साथ में कई नाटकों में मुख्य भूमिका अदा की थी। आलोक चटर्जी को भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी मिला था।

थिएटर में दी अपनी पूरी जिंदगी

आलोक चटर्जी ने न सिर्फ थिएटर में महत्वपूर्ण योगदान दिया, बल्कि कई मशहूर नाटकों का निर्देशन भी किया। वह मध्य प्रदेश स्कूल ऑफ ड्रामा (MPSD) के पूर्व निदेशक और एनएसडी के गोल्ड मेडलिस्ट थे। आलोक का जन्म मध्य प्रदेश के दमोह जिले में हुआ था। उन्होंने ए मिडसमर नाइट्स ड्रीम जैसे प्रसिद्ध शेक्सपियर के नाटक का निर्देशन किया था, और डेथ ऑफ ए सेल्समैन जैसे नाटक में अभिनय भी किया था।

आलोक ने कहा था 'थिएटर मेरे खून में है' 

अपने एक पुराने इंटरव्यू में आलोक चटर्जी ने कहा था कि उन्होंने अपनी जिंदगी का उद्देश्य सिर्फ थिएटर को बनाया था। वह कहते थे, 'मैं एक परफॉर्मर बनने के लिए दिल्ली आया था। अगर मुझे फिल्में करनी होती तो मैं एफटीआईआई पुणे जाता। मैं अपनी जिंदगी थिएटर के लिए जी रहा हूं। एनएसडी से पढ़ाई करने के बाद, थिएटर मेरे खून में है। मैं बाज़ार में बिकने वाला पेंटर नहीं हूं।'


 

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