'मैंने सरोजनी नगर के कपड़ों से बनाया अपना फैशन..भूमि पेडनेकर का खुलासा, बोली-'सिर्फ महंगे या डिजाइनर वस्त्र..

Edited By suman prajapati, Updated: 12 Dec, 2024 01:34 PM

i created my fashion with clothes from sarojini nagar bhumi pednekar revelation

फैशन का शौक किसे नहीं होता। फिर इसके लिए ये मायने नहीं रखता कि आप इसके लिए ब्रांड या नॉन-ब्रांड की चीजें इस्तेमाल करें। समझदारी से किया जाए तो कम कीमत पर भी काफी फैशननेबल दिखा जा सकता है और अपना शौक पूरा किया जा सकता है। कुछ ऐसा ही मानना है बॉलीवुड...

मुंबई. फैशन का शौक किसे नहीं होता। फिर इसके लिए ये मायने नहीं रखता कि आप इसके लिए ब्रांड या नॉन-ब्रांड की चीजें इस्तेमाल करें। समझदारी से किया जाए तो कम कीमत पर भी काफी फैशननेबल दिखा जा सकता है और अपना शौक पूरा किया जा सकता है। कुछ ऐसा ही मानना है बॉलीवुड एक्ट्रेस भूमि पेडनेकर का, जिन्होंने दिल्ली में सरोजनी नगर से कपड़े खरीदकर अपने शौक पूरे किए हैं। इस बात का खुलासा हाल ही में भूमि ने एक इंटरव्यू में किया है।

भूमि का ये स्पष्ट मानना रहा है किसी भी नई चीज को अपनाने के लिए उसके बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है। वह कहती हैं, “फैशन को लेकर ये समझना बहुत जरूरी है कि इसका सहज, सरल और सामाजिक होना अनिवार्य है। सिर्फ महंगे वस्त्र या डिजाइनर कपड़ों से ही फैशन होता है, ये भी सही नहीं है। फैशन सामाजिक बदलाव का एक बहुत बड़ा मानक है, ये बात मैं शुरू से मानती रही हूं।”
   


हमारे आसपास के वातावरण को संभालने में फैशन किस तरह काम आ सकता है, इस बारे में भूमि कहती हैं, “पर्यावरण संरक्षण पर काम करने के दौरान ही कोरोना संक्रमण काल के बाद मैंने फैशन के इस पहलू के बारे में लोगों को जागरूक करना शुरू किया। हम लोग जब दिल्ली में थे तो मैं सरोजनी नगर से ही कपड़े लाते थे। फिर उनमें अपनी सोच के हिसाब से मोहल्ले के टेलर मास्टर से बदलाव कराती और नई ड्रेस तैयार कर लेती।”

 

भूमि पेडनेकर के मुताबिक, “हमारे लिबास हमारे व्यक्तित्व की पहली बानगी होते हैं और इसका सबसे सुंदर उदाहरण मैं एक्ट्रेस रेखा जी को मानती हूं। उनका आकर्षण उनके लिबास को देखकर जो बनता है, उससे न जाने कितने लोग प्रभावित हुए हैं। लोगों ने भी अब सार्वजनिक कार्यक्रमों में उनके जैसा दिखना शुरू कर दिया है।”
भूमि कहती हैं, “फैशन वही अच्छा लगता है जो हमारे आसपास के वातावरण के मुताबिक हो। मौसम के मुताबिक हो और हमारी सोच व हमारी परंपराओं के मुताबिक हो। आधुनिक दिखने के लिए आधुनिक कपड़ों से ज्यादा जरूरी आधुनिक सोच है। वह सोच जो रंग, रूप, जाति, वर्ग, क्षेत्र आदि से परे है।”

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