पाकिस्तान में रह रहे मुजाहिरों की रक्षा के लिए अल्ताफ हुसैन ने PM मोदी से लगाई गुहार

Edited By Mehak, Updated: 28 May, 2025 02:08 PM

altaf hussain appealed to pm modi to protect the muhajirs living in pakistan

पाकिस्तान और भारत के बीच जारी तनाव के बीच, पाकिस्तान के निर्वासित नेता और मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (MQM) के संस्थापक अल्ताफ हुसैन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुहाजिर समुदाय की सुरक्षा के लिए मदद मांगी है। मुहाजिर वे मुसलमान हैं जो भारत से बंटवारे...

नेशनस डेस्क : पाकिस्तान और भारत के बीच जारी तनाव के बीच, पाकिस्तान के निर्वासित नेता और मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (MQM) के संस्थापक अल्ताफ हुसैन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुहाजिर समुदाय की सुरक्षा के लिए मदद मांगी है। मुहाजिर वे मुसलमान हैं जो भारत से बंटवारे के बाद पाकिस्तान, खासतौर से कराची में बस गए थे और वे उर्दू बोलते हैं।

मुहाजिरों की मुश्किलें

पाकिस्तान में मुहाजिरों की दशकों से स्थिति खराब बनी हुई है। उन्हें वहां भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। अल्ताफ हुसैन ने एक कार्यक्रम में कहा कि पीएम मोदी ने पहले बलोच लोगों के अधिकारों का समर्थन किया है, जो एक साहसी कदम था, और अब उन्हें मुहाजिरों के लिए भी ऐसा समर्थन देना चाहिए।

अल्ताफ हुसैन की अपील

लंदन में रह रहे अल्ताफ हुसैन ने पाकिस्तान की सेना पर भी आरोप लगाए कि सैन्य कार्रवाइयों में 25,000 से अधिक मुहाजिर मारे जा चुके हैं और हजारों लापता हैं। उन्होंने पीएम मोदी से अपील की कि वे मुहाजिरों की आवाज़ को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाएं और उनकी रक्षा करें।

पूर्व में भी की थी मोदी से शरण की मांग

कुछ साल पहले नवंबर 2019 में, अल्ताफ हुसैन ने पीएम मोदी से भारत में राजनीतिक शरण की मांग की थी ताकि वे अपने पूर्वजों की कब्रों पर जा सकें। उस समय ब्रिटेन की पुलिस ने उनके खिलाफ घृणा फैलाने और आतंकवाद बढ़ावा देने के आरोप में मामला दर्ज किया था। तब भारत ने उनकी शरण की मांग पर कोई जवाब नहीं दिया था। 

उधर, पाकिस्तान की सरकार पर हमेशा से आरोप लगाते आई है कि अल्ताफ हुसैन और उनकी MQM पार्टी भारत की खुफिया एजेंसी RAW के एजेंट हैं।

अल्ताफ हुसैन का राजनीतिक सफर

अल्ताफ हुसैन का जन्म 1953 में कराची में हुआ। उनका परिवार भारत से पाकिस्तान आया था। कराची विश्वविद्यालय से फार्मेसी की पढ़ाई के बाद वे राजनीति में आए। उन्होंने 1984 में MQM पार्टी की स्थापना की, जिसने जल्द ही कराची और सिंध के शहरी इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत कर ली। 1990 के दशक में उनकी पार्टी ने पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।

कराची में उनका दबदबा

अल्ताफ हुसैन का कराची पर इतना प्रभाव था कि उनकी एक फोन कॉल से कर्फ्यू जैसा माहौल बन जाता था। हालांकि, जो लोग उनके नियमों पर असहमति जताते थे उनकी हत्या की खबरें भी सामने आती थी। 1990 के दशक में उनके खिलाफ कई हत्या के मामले दर्ज हुए, जिससे उन्हें 1992 में ब्रिटेन जाना पड़ा। ब्रिटेन में शरण लेने के बाद भी उन्होंने फोन पर कराची में अपने समर्थकों को निर्देश दिए।

मुहाजिरों की वर्तमान स्थिति

पाकिस्तान में मुहाजिरों को अक्सर भेदभाव का सामना करना पड़ता है। कराची में लगभग डेढ़ करोड़ मुहाजिर रहते हैं, जो पाकिस्तान को सबसे अधिक राजस्व भी देते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें सेना और पुलिस में नौकरियां नहीं मिलतीं। सुरक्षा बलों द्वारा जबरन अपहरण, फर्जी केस, और मारपीट की खबरें आम हैं। मुहाजिरों को सिंधी और पंजाबी समुदायों से भी भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

 

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