“मैंने बेटी को अकेले पाला, पर ताने मुझे मिले” – जूही परमार ने सुनाई तलाक के बाद की कहानी

Edited By Rahul Rana, Updated: 27 Sep, 2025 04:47 PM

i raised my daughter alone but i received taunts juhi parmar tells her story

टीवी इंडस्ट्री की जानी-मानी एक्ट्रेस जूही परमार ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने निजी अनुभव साझा करते हुए टॉक्सिक शादी, तलाक, और सिंगल मदर होने के संघर्षों पर खुलकर बात की।

बॉलीवुड डेस्क: टीवी इंडस्ट्री की जानी-मानी एक्ट्रेस जूही परमार ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने निजी अनुभव साझा करते हुए टॉक्सिक शादी, तलाक, और सिंगल मदर होने के संघर्षों पर खुलकर बात की। ज़ी टीवी के शो 'कहानी हर घर की' में सामाजिक मुद्दों को उठाने वाली जूही असल ज़िंदगी में भी महिलाओं के लिए एक मज़बूत आवाज़ बनकर सामने आई हैं।

टॉक्सिक रिश्ते में नहीं रही चुप – जूही की हिम्मत की कहानी
जूही परमार ने बताया कि उनकी शादी टूटने के बाद समाज ने उन्हें किस तरह जज किया। उन्होंने साल 2008 में अभिनेता सचिन श्रॉफ से शादी की थी। इस रिश्ते से उन्हें एक बेटी हुई, लेकिन शादी लंबे समय तक नहीं टिक पाई। 2018 में दोनों ने तलाक ले लिया। जूही ने कहा कि तलाक कोई आसान फैसला नहीं होता, लेकिन जब रिश्ता मानसिक रूप से थका देने वाला हो जाए, तो खुद को और अपने बच्चे को बचाना ही सही होता है। “हमेशा औरत को ही दोषी ठहराया जाता है। अगर शादी टूटती है तो कहते हैं, उसमें ही कोई खामी होगी।”

“काम करने वाली हो या न हो, जज हर कोई करता है”
जूही ने बताया कि चाहे महिला आत्मनिर्भर हो या घरेलू — तलाक के बाद समाज की सोच नहीं बदलती।“हम जैसे लोग जो कमाते हैं, घर चला सकते हैं, वो भी जजमेंट से नहीं बच पाते। और जो महिलाएं काम नहीं करतीं, उनके पास तो कोई रास्ता ही नहीं होता। वो मजबूरी में ज़िंदगी भर सहती रहती हैं।”उन्होंने साफ कहा कि समाज को अपनी सोच में बदलाव लाना होगा। किसी को छोड़ने वाला व्यक्ति जज नहीं होता, लेकिन बच्चा पालने वाली महिला जरूर सवालों के घेरे में आ जाती है।

“बेटी के लिए बनी ताकत, लेकिन मिला ताना”
जूही परमार ने बताया कि तलाक के बाद उन्होंने बेटी को अकेले पाला और आज भी पाल रही हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि लोगों ने उन्हें ही ताने मारने शुरू कर दिए, जो इस जिम्मेदारी को निभा रही हैं।“छोड़कर जाने वाला तो आगे बढ़ गया, लेकिन जो ठहर गया, उसका ही चरित्र जज किया जा रहा है। यह कैसी सोच है?”

अब वक्त है आवाज़ उठाने का: जूही की अपील
जूही ने यह भी कहा कि अब केवल सहने का नहीं, बल्कि आवाज़ उठाने का वक्त है। जो लोग सिंगल मॉम्स को जज करते हैं, उन्हें इंसानियत दिखानी चाहिए। “उन लोगों को बोलने की ज़रूरत है — दया करो, इंसानियत दिखाओ। क्योंकि सबसे कठिन भूमिका वही निभा रही है जो साथ रहकर सब झेल रही है।”

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